Baat Nahi Karne Ki Shayari - Top 100+ बात नहीं करने की शायरी : Kya kabhi aapko aisa hua hai ki aap apne jazbaat ko vyakt karne ke liye shabdon ka sahi istemaal nahi kar paaye? Kabhi-kabhi shabdon ka istemaal seemit ho jaata hai aur aisi sthitiyon mein shayari ka sahara liya jaata hai.
Shayari ek prakar ki kavita hai jo sau saal se bharatiya sanskriti ka ek mahatvapoorn hissa hai. Shayari aapko ek khoobsurat aur kaviya tareeke se aapke vichaaron aur bhavnaon ko vyakt karne ki anumati deta hai.
Is blog post mein humne baat nahi karne ki shayariyon ki top 100+ list taiyaar ki hai. Ye shayariyan uss samay bahut kaam aati hain jab aap kuchh nahi kehna chahte, lekin apne jazbaaton ko abhivyakt karna chahte hain. Ye shayariyan pyaar se lekar tanhai aur zindagi se judi hui tarah-tarah ki bhavnaon ko shamil karti hain.
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Baat Nahi Karne Ki Shayari - Top 100+ बात नहीं करने की शायरी.
Top 100+ Baat Nahi Karne Ki Shayari.
जब तक ना करो बातें उससे, उनकी यादों में ही रहोगे तुम, इसीलिए तो कहते हैं कि बातें करना जरूरी होता है हमारे जैसे लोगों के लिए।
बातें करना तो अच्छा होता है, लेकिन कभी-कभी चुप होना भी जरूरी होता है।
कभी-कभी बातें ना करने से भी कुछ बातें होती हैं, जो बस एहसास के रूप में रह जाती हैं।
जब तक मैं बोलता नहीं हूँ, तब तक तुम मुझसे जुड़े रहते हो।
बातें करने से नहीं बदलता कुछ, लेकिन कुछ बातें न करने से सब कुछ बदल जाता है।
कुछ बातें तो सिर्फ दिल से होती हैं, जो बस बातों से नहीं समझते हैं।
बोलना तो अच्छा होता है, लेकिन कभी-कभी चुप रहना भी जरूरी होता है।
जब तक बातें नहीं होतीं, तब तक सिर्फ उम्मीद होती है।
जब कुछ कहने को नहीं होता, तब कुछ सुनने को जरूर होता है।
कभी-कभी शब्दों से ज्यादा स्वयं को समझना जरूरी होता है, और उसके लिए हमें शांत रहकर सोचना होता है।
जिन्हें हम प्यार करते हैं, उनसे बातें करना तो हमेशा चाहते हैं, लेकिन कभी-कभी चुप रहना उन्हें समझने के लिए भी जरूरी होता है।
बातें तो कभी-कभी अलग होती हैं, लेकिन चुप रहने से हमेशा एक रहती हैं - उनकी यादें।
जब बातें ना करना जरूरी होता है, तब तक शांत होकर बैठना भी एक कला होती है।
बोलना तो अच्छा होता है, लेकिन कभी-कभी चुप रहना भी सीखना जरूरी होता है।
जब बातें नहीं करनी होती हैं, तब तक दिल अकेला महसूस करता है।
बातें करने से नहीं बदलती कुछ, लेकिन कुछ बातें न करने से सब कुछ बदल जाता है।
जब बातें नहीं होती हैं, तब तक उनसे जुड़े लोग अनजान रहते हैं।
बोलने से पहले कभी-कभी सोच लेना जरूरी होता है, क्योंकि बातें एक बार कह दी जाती हैं।
जिन्हें हम प्यार करते हैं, उनसे बातें करने से अधिक अक्सर सुनना जरूरी होता है, जिससे हम उन्हें समझ सकें।
कभी-कभी शांत रहना सबसे बड़ा जवाब होता है, क्योंकि शांति कुछ बातों से भी बड़ी होती है।
जब बातें नहीं होती हैं, तब तक सोचते रहना भी एक तरीका होता है।
जब बातें नहीं होती हैं, तब तक साँसों की गहराई को समझना भी एक कला होती है।
जिन बातों को हम सामने लाना चाहते हैं, वो बातें हमेशा आसान नहीं होतीं।
बातें तो अक्सर होती हैं, लेकिन जब बातें नहीं होती हैं, तब तक उनकी यादें जीवित रहती हैं।
बातें करना अक्सर आसान होता है, लेकिन कभी-कभी सबसे मुश्किल काम बातों को समझना होता है।
जब बातें नहीं होती हैं, तब तक उनके ख्यालों में खो जाना भी एक तरीका होता है।
कुछ बातें ज़बान से बाहर नहीं निकलतीं, पर उनकी आहट सबसे ज़्यादा बोलती है।
कुछ बातें समझाना नहीं, बस महसूस करना होता है।
जब कुछ कहने का मौका नहीं मिलता, तब कभी-कभी खामोश रहना भी सही होता है।
बातें तो होती ही रहती हैं, लेकिन जब बातें नहीं होती हैं, तब तक अपने अंदर के भावों को उजागर करना भी ज़रूरी होता है।
बातें तो होती ही रहती हैं, पर उनको सही वक्त पर कहना होता है।
कुछ बातें इतनी महत्वपूर्ण होती हैं, कि उन्हें सिर्फ बोलने से पहले सोचना होता है।
जिन्हें हम प्यार करते हैं, उनसे बातें करने से पहले अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाना भी ज़रूरी होता है।
बातें तो होती ही रहती हैं, लेकिन जब बातें नहीं होती हैं, तब तक अपने आप से सवाल करना भी एक तरीका होता है।
जिन बातों को हम नहीं कहते, वो बातें कभी-कभी हमारी सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं।
बातें तो हमेशा होती रहती हैं, लेकिन कुछ बातें अधूरी ही रह जाती हैं।
जब कुछ कहना होता है, तो अक्सर सबसे मुश्किल बात वही होती है, जो हम अधूरे भावों के साथ जुड़ा होता है।
कुछ बातें आँखों से बयां होती हैं, जबकि कुछ बातें ज़बान से बाहर नहीं निकलतीं।
बातें करना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, पर कुछ लोगों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होती है।
जब कुछ कहना होता है, तब सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है, कि क्या कहना है और कैसे कहना है।
कुछ बातें इतनी गहरी होती हैं, कि उन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
कुछ बातें समझ में आती हैं, जबकि कुछ बातें असमझ में ही रह जाती हैं।
कुछ बातें इतनी गंभीर होती हैं, कि उन्हें सिर्फ ज़बान से नहीं, बल्कि अपनी आंखों से भी बताया जा सकता है।
बातें तो होती ही रहती हैं, पर उन्हें सही समय पर कहना होता है।
जब कुछ कहना होता है, तो बातों की गहराई को नहीं, लेकिन उनके बीच में छिपी जज्बातों को निहारना होता है।
कुछ बातें सभी के सामने कहनी चाहिए, जबकि कुछ बातें सिर्फ कुछ लोगों को ही बतानी चाहिए।
चुप रहने का अपना एक अलग ही मजा है, बात तो करते हैं सब लोग, मगर समझने वाले कम होते हैं।
खामोशी में भी बहुत समझ आती है, मगर कुछ लोग तो सिर्फ चिल्लाने से बात करते हैं।
अक्सर बातें बोलते समय, ज़ुबान आगे नहीं बढ़ती, क्योंकि उसके पीछे कुछ ख़ास भावनाएँ छिपी होती हैं।
जब दिल में ज़्यादा बातें हो, तब ज़्यादा बोलने की ज़रूरत नहीं होती है।
वक्त की एक बात बोलने से पहले, हमेशा दो बार सोच लेना चाहिए।
बहुत दूर तक बोलने की ज़रूरत नहीं होती है, अगर आपकी ज़ुबान सही से समझ जाती हो।
अक्सर बातें जो हम नहीं बोलते, वो हमारे ज़ज्बातों के एक अलग दुनिया को बताती हैं।
समय सभी चीजों का दोस्त होता है, मगर वहीं समय से पहले बात करना भी कुछ नहीं सोचना होता है।
जब बात करने की कोई ज़रूरत नहीं होती, तो सिर्फ खामोश रहना ही बेहतर होता है।
जब कुछ कहने का मौका नहीं होता, तब खामोशी ही सबसे बढ़िया भाषा होती है।
वक्त के साथ चलने की एक अलग ही ख़ूबी है, वक्त को समझने की भी एक अलग ही कला होती है।
जब दिल जमीन पर होता है, तब ज़ुबान आसमान तक नहीं उठती।
जब दोस्तों से भी बातें नहीं होतीं, तब खामोशी की एक अलग ही कशिश होती है।
बात करने के बहाने ज़्यादा उलझ जाते हैं लोग, मगर खामोशी का सुखद सामर्थ्य होता है अजब।
जब दिल कुछ कहना चाहता है, तब ज़ुबान उसे ढांढस कर नहीं रोक सकती।
जब समझदार लोगों की बातें नहीं सुनते, तब समझ में आने की बात कहते हैं।
खामोशी एक अलग सा संदेश होता है, जो ज़ुबान से कहीं ज़्यादा समझ में आता है।
जब शब्द नहीं होते हाथों में, तब नाप लेना सबसे बेहतर विकल्प होता है।
अक्सर सुखद खामोशी में ही ख़ुशी मिलती है, बोलने की ज़रूरत नहीं होती कभी-कभी।
जब बचपन में दादी की कहानियाँ सुनते थे, तब बोलने की कोई ज़रूरत नहीं होती थी।
बातों के दायरे से बचकर जीना सीखो, कभी-कभी सीधे दिल से बात करने से भी ग़लतफहमियाँ निकलती हैं।
ख़ामोशी से समझ लेना बड़ी बात होती है, बोलने की ज़रूरत नहीं होती कभी-कभी।
जब समझ जाओ बिना बोले आपस में बातें, तब ज़िन्दगी आसान हो जाती है।
बातें कहीं ना कहीं से निकल जाती हैं, मगर ख़ामोशी में वो समझ में आ जाती हैं।
जब दिमाग बात करने से डरता हो, तब अपने दिल की खामोशी से बात कर लो।
जब दोस्तों से बातें नहीं होतीं, तब खामोशी की एक अलग ही कशिश होती है।
जब ज़िन्दगी की भाग दौड़ से थक जाओ, तब खामोशी से वो सब कुछ समझ में आता है।
जब कुछ कहने का मौका नहीं मिलता, तब खामोशी से वो बात सब कुछ कह जाती है।
जब तुम्हारी आंखों से बात होती है, तब कोई शब्द की ज़रूरत नहीं होती है।
बातों से तोड़ कर तुम खामोश रहो, तब समझ में आएगी ज़िन्दगी की हक़ीकत।
जब शब्द नहीं होते हाथों में, तब अक्सर दिल की आवाज़ सब से ज़्यादा बोलती है।
बोलना तो बहुत कुछ होता है, लेकिन कभी-कभी खामोश रहना सही होता है।
कभी-कभी बातें सिर्फ अंदाज़े से होती हैं, खामोशी से भी कुछ समझ में आ जाता है।
बातें करते-करते खुद से भी अलग हो जाओ, तो खामोशी तुम्हारे साथ सही होती है।
जब लोग बोलते हैं तो सुनो, लेकिन जब नहीं बोलते तब भी सुनो।
जब बोलने से सब अलग कर जाएँ, तब खामोशी ही सबसे बेहतर होती है।
जब बातें करने से सब बिगड़ता है, तब खामोशी ही सबसे अच्छा विकल्प होता है।